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(1) उसने कहा भूल जाओ मुझे , हमने कह दिया , कौन हो तुम ?
(2) ऐसा नहीं कि दिल में तेरी तस्वीर नहीं थी, पर हाथो में तेरे नाम की लकीर नहीं थी.
(3) उठाकर फूल की पत्ती उसने बङी नजाकत से मसल दी,इशारो इशारो मेँ कह दिया की हम दिल का ये हाल करते है.
(4) फ़िक्र तो तेरी आज भी करते हैं ,बस जिक्र करने का हक़ नही रहा.
(5) कुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्ते, हर कदम पर काँच बन कर जख्म देते है.
(6) टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया ,वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी.
(7) मुझे मालूम था कि वो रास्ते कभी मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे,फिर भी मैं चलता रहा क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे!
(8) हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया,हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई.
(9) बहल तो जाता उसके झूठे वादों से मेरा दिल लेकिन कब तक चलती पानी मे, काग़ज की कश्तियाँ.
(10) हम तो जल गये उसकी मोहब्बत में मोमकी तरह, अगर फिर भी वो हमें बेवफा कहे...तो उसकी वफ़ा को सलाम.
(11) उंगलिया आज भी इस सोच में गुम है , उसने कैसे नए हाथ को थामा होगा.
(12) अभी-अभी एक टूटा तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था,चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था !
(13) मुझे हराकर कोई मेरी जान भी ले जाए मुझे मंजुर है ,,लेकिन धोखा देने वालों को मै दुबारा मौका नही देता.
(14) जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा मुझसे..ओ पागल …अपनी ज़िंदगी जी लेना,वैसे प्यार अच्छा करते हो.
(15) लफ्जो मे गर बयां हो जाती मोहब्बत मेरी तो आज वो बेवफा ना होता.
(16) ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से,जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं.
(17) चली जाने दो उसे किसी ओर की बाहों मे ,इतनी चाहत के बाद जो मेरी ना हुई, वो किसी ओर कि क्या होगी.
(18) आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले, जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए.
(19) हमारे दुश्मनों को हमारे सामने सर उठाने की हिम्मत नही और वो पगली दिल से खेल कर चली गयी.
(20) वो अपना काम निकालते हैं कुछ इस हुनर से कि आप धोखे खाकर भी उनसे मिला करते हैं.
(21) बरसों पहले अलविदा कह गयी थी जो कल फिर मिली बाजार में, उसकी गाड़ी बड़ी थी और मेरी दाढ़ी.
(22) छोड़ दिया हमने उसका दीदार करना हमेशा के लिए ,‘दोस्त’ जिसको प्यार की कदर ना हो उसे मुड़ मुड़ के क्या देखना .
(23) मौसम की तरह बदलते है उस के वादे इरादे, उपर से ये ज़िद है कि तुम मुझ पे एतबार करो.
(24) सच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लो ;मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है.
(25) संवर रही है अब वो किसी और के लिए,पर मैं बिखर रहा हूँ आज भी उसी के लिए.
(26) अब शिकायतेँ तुम से नहीँ खुद से है, माना के सारे झूठ तेरे थे.लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था.
(27) तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .
(28) देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना, नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी.
(29) तुमने क्या सोचा कि तुम्हारे सिवा कोई नही मुझे चाहने वाला,पगली छोङ कर तो देख, मौत तैयार खङी है मुझे अपने सीने लगाने के लिए.
(30) "बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी आज, ज़रा वक़्त पर आना मेहमान-ए-ख़ास हो तुम."
(31) वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल .साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.
(32) "जरा देखो तो ये दरवाजे पर दस्तक किसने दी है? अगर 'इश्क' हो तो कहना, अब दिल यहाँ नही रहता."
(33) अगर मैं भी मिजाज़ से पत्थर होता..तो खुदा होता या तेरा दिल होता.
(34) धोखा देती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक,हर काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते.
(35) अपने कर्म से वो मेरा मुक़द्दर बना गए, एक क़तरे को पल में समुन्दर बना गए, फूलों से भी ज्यादा नरम था, कभी दिल ये मेरा, इतना तड़पाया उसने कि पत्थर बना गए..
(36) मुझे ढुंढने की कोशिशे अब मत किया कर,तुने रास्ता बदला तो हमने मंजिल।
(37) मेरी ही चाहत से परहेज है उसको जाने किस हक़ीम की दवा लेती है वो।
(38) अब तेरी आँखों में आँसू क्यों पगली , जब छोड़ ही दिया तो भुला भी दिया होता .
(39) तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समझा ,वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नही.
(40) टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के,लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया.
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